Thursday 21 January 2016

शायरी

दिल के आइने में एक तस्वीर बंद है
मेरे लब पे आज कोई तकरीर बंद है
सजा कर रखता हूँ दिल को काँटों से
क्योंकि फूलों की इसमें जागीर बंद है

शायरी

आज मेरे हाल पर नभ इतना तरस गया
बेमौसम ही सही वो दिल से बरस गया

शायरी

तुम्हीं मेरी शब हो, सुबह तुम्हीं हो
अब तो मेरे जीने की वजह तुम्हीं हो
आते हो नजर तुम्हीं तुम दुआओं में
जिंदगी है जंग और सुलह तुम्हीं हो

कुण्डलिया

मैदान सजल छल जैमे भिड़ल छल सब लोक
किछु छल अपसियाँत किछु पर लागल रोक
किछु पर लागल रोक जे मुँहदुब्बर छल खेलाड़
ओकरा पर लागल पेनाल्टी देखू बहुत प्रकार
कहै छथि ओम कवि सुनि लिअ लगा क' ध्यान
जँ अछि किछु पैरवी अहाँ तखने उतरू मैदान

कविता

दुख ऐ बातक नैए जे ओ हमरा नै चिन्हलथि
मुदा हम दुखी छी जे ओ हमरा नै बूझलथि
विष भरल सुन्नर मुस्की चिन्हबामे नै आएल
मुस्कीक पाछू की नुकाएल हमरा नै कहलथि
हुनकर छनि फहराइत पताका सर सर सगरो
हमर झूस ध्वजा अछि से हमरा नै बजलथि
केहेन केहेन लोकक ओ बनल रहै छथि संगी
हम बनेलौं चिक्कन मुँह तइयो हमरा नै सहलथि
समर्पित अछि ओइ मित्रकेँ जे हमरा गलत बूझलथि। आशा अछि जे ओ हमर उदगार पढ़ि क' अपन मोन साफ करताह।

शायरी

आज दिल जज्बात में यूँ बह रहा है
जज्ब थीं बातें जो दिल में कह रहा है
गौर करते आप कभी जौ मेरी आँखों को
जो आपके ही सहारे अब रह रहा है

रूबाइ

रूबाइ

जिनगी धार जकाँ बहि रहल अछि
दुखक पाथरक चोट सहि रहल अछि
तइयो नब उमंगसँ भरल धार नित
जीबै लेल हमरा कहि रहल अछि

रूबाइ

रूबाइ

पाथर पर बैसल मोम हृदय
हमरा लेल केलनि होम हृदय
सुख दुखक हमर अहाँ संगी
अहीं छी हमर सोम हृदय

गजल

कखनो सुखक भोर लिखै छी
कखनो खसल नोर लिखै छी
मिठगर रसक बात कहै छी
संगे करू झोर लिखै छी
कारी करेजक कहबै की
बिहुँसैत ई ठोर लिखै छी
सोनक हिरण देखि क' दौड़ल
लोकक अजब होड़ लिखै छी
"ओम"क गजल की सुनबै यौ
खटगर बनल घोर लिखै छी
2-2-1-2, 2-1, 1-2-2 प्रत्येक पाँतिमे एक बेर
ओम प्रकाश