Wednesday 28 September 2016

बीहनि कथा

सामंत
साहेब आफिससँ निकलि क' कतौ जाइत छलाह। चपरासी हुनकर वातानुकूलित कक्षक दरबज्जा खोलि क' ठाढ़ भ' गेल। दोसर चपरासी हुनकर बैग ल' कए चलल। बाहर बत्ती लागल कार लागल छल। कारक चालक कारक गेट खोलि ठाढ़ छल। अप्पन कक्षसँ कार धरि पच्चीस मीटरक दूरी साहेब पाँच मिनटमे पहुँचि गेलाह।ओतबा दूरमे कतेको मुलाजिम ठाढ़ छल आ सलामी ठोकने जा रहल छल।साहेब मूड़ी हिला क' जबाब दैत कार धरि गेला आ शानसँ गाड़ीमे बैसि गेला। कार ओतयसँ चलि क' शहरक टाउन हाल पहुँचल। साहेब गाड़ीसँ उतरलाह तँ ढ़ेरी लोक सलामी ठोकै...त आगाँ पाछाँ करैत हुनका भीतर ल' कए चलि गेल। आइ ओतय "सामंतवादक प्रभाव आ नब सामंतवाद" विषयपर एकटा गोष्ठी छल आ साहेब मुख्य अतिथि छलाह।सामंतवादक दुष्प्रभाव आ ओकर आतंकसँ जकड़ल समाजकेँ नब रस्ता देखेबा लेल साहेबक भाषणक प्रतीक्षामे हुनकर जिंदाबादक नारासँ पूरा हाल गुंजायमान भ' गेल।
-ओम प्रकाश

बीहनि कथा

जस जस सुरसा बदनु बढ़ाबा
रामलाल आइ बड्ड खुश छल। कंपनी ओकर दरमाहा बीस हजारसँ बढ़ा क' बाईस हजार क' देलकै। ओ कनी मधुर कीनलक आ घर आबि ई सूचना अपन घरनीकेँ देलक। घरनी खुश होइत बाजलीह -"ई तँ बड्ड नीक भेल। दुनू बच्चाक इसकूलक फीस अही माससँ दू दू सय टका बढ़ा देलकैए। हमर होली आ दीवाली दुनूकेँ साड़ी बकियौता अछि। माँजीक दवाय पछिला मास नै कीनाएल छल सेहो कीना जेतैक। बनियाक बकियौता सेहो........."...
"हे यै चुप रहू।" रामलाल घरनीकेँ बीचहिमे टोकलनि-"एखन धरि अहाँ तीन हजारसँ ऊपरक खरचा जोड़ा देलौं, जखन की दरमाहा दूइये हजार बढ़ल अछि।"
घरनी कहलकनि-"एखन तँ आरो खरचा सब छै।"
रामलाल चुप भ' मूड़ी पर हाथ ध' बैसि रहलाह। हुनका रामचरितमानसक चौपाई मोन पड़ि गेलनि-
जस-जस सुरसा बदनु बढ़ाबा
तासु दुगुन कपि रूप देखाबा

-ओम प्रकाश