तुम्हीं कह दो तेरे इश्क को भुलाऊँ कैसे
वज़ूद अपना मैं खुद ही मिटाऊँ कैसे
दिल के किले में महफूज हैं तेरी यादें
आदत बनी यादों से दूरी बनाऊँ कैसे
सर झुकाता रहा हूँ मुहब्बत के लिए
रंजिशों के बुत पर सर झुकाऊँ कैसे
कहने को बाकी बहुत हैं दर्द मुझमें
पर बेदर्द महफिल को सुनाऊँ कैसे
"ओम" को जमाने ने दीवाना नाम दिया है
जिन्दा हूँ दीवानगी से ही मैं बताऊँ कैसे
great! ur really writing awesome
ReplyDelete