Wednesday 8 March 2017

गजल

पायल एक बेर झनझना तँ दियौ
चूड़ी एक बेर खनखना तँ दियौ
शब्दक बान्ह आइ टूटबे करतै
आँचर एक बेर सनसना तँ दियौ
मुस्की ठोर तर दबा क' नै रखियौ
दुनिया एक बेर गनगना तँ दियौ
एखन धरि करेज सूतले रहलै
आबो एक बेर हनहना तँ दियौ
'ओम'क मोन बाट जोहि थाकल छै
घंटी एक बेर घनघना तँ दियौ
2-2-2-1, 2-1-2, 1-2-1, 1-2

No comments:

Post a Comment