चिराग-ए-दिल की रौशनी भी मद्धम हुई जाती है।
तेरी तस्वीर मेरी यादों में धुंधली हुई जाती है।
कहा करते थे हाथ पकड़ मेरा अरमानों से,
चलते चले जाएंगे हम आगे आसमानों से।
पर दो क़दम पर ही फ़ासले दरम्यां हो गए,
गीत मोहब्बत के सारे फिज़ा में फ़ना हो गए।
तराश तराश के थक गए हम जज़्बातों को,
पर गिरा ना सके दुआ में उठे अपने हाथों को।
तेरी यादों को महफ़ूज़ कर रखा है क़रीने से,
कैसे निकाल फेंकूँ उन हसीन लम्हों को सीने से।
वफ़ा के किस्से तो क्या बेवफाई के फ़साने भी ना बने,
गा सकता कोई जो, मोहब्बत के वो तराने भी ना बने।
तेरी तस्वीर मेरी यादों में धुंधली हुई जाती है।
कहा करते थे हाथ पकड़ मेरा अरमानों से,
चलते चले जाएंगे हम आगे आसमानों से।
पर दो क़दम पर ही फ़ासले दरम्यां हो गए,
गीत मोहब्बत के सारे फिज़ा में फ़ना हो गए।
तराश तराश के थक गए हम जज़्बातों को,
पर गिरा ना सके दुआ में उठे अपने हाथों को।
तेरी यादों को महफ़ूज़ कर रखा है क़रीने से,
कैसे निकाल फेंकूँ उन हसीन लम्हों को सीने से।
वफ़ा के किस्से तो क्या बेवफाई के फ़साने भी ना बने,
गा सकता कोई जो, मोहब्बत के वो तराने भी ना बने।
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