O. P. Jha
Thursday, 21 January 2016
शायरी
तुम्हीं मेरी शब हो, सुबह तुम्हीं हो
अब तो मेरे जीने की वजह तुम्हीं हो
आते हो नजर तुम्हीं तुम दुआओं में
जिंदगी है जंग और सुलह तुम्हीं हो
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