शरम कभी ना कीजिए जब कुछ पाने की हो बात
अगर दुधारू भैंस हो तो सहना चाहिए उसकी लात
सहना चाहिए उसकी लात जो कभी दो चार पड़े
खिदमत में उसके रहिए हरदम आठों पहर खड़े
कहे ओम कवि आपसे कि अब छोड़ के सारे भरम
सकुचाना किस बात का माँग के खाने में कैसी शरम
अगर दुधारू भैंस हो तो सहना चाहिए उसकी लात
सहना चाहिए उसकी लात जो कभी दो चार पड़े
खिदमत में उसके रहिए हरदम आठों पहर खड़े
कहे ओम कवि आपसे कि अब छोड़ के सारे भरम
सकुचाना किस बात का माँग के खाने में कैसी शरम
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