रातिक खाधि
कारी रातिक गहीर खाधिमे
मोन उतरि जाइए कखनो।
ओहि खाधिमे ताकैत रहै छी
कोनो चिन्हार चेहरा,
जे हुलसि पकड़ि क' बाँहि हमर
निकालि लेत हमरा
ओहि भयाओन खाधिसँ।
मुदा ई की देखै छी हम
जे हाथे नै छै ओकरा।
छै तँ खाली एकटा निर्विकार मुँह।
झमाएल पितियाएल मुँह।
सुखाएल गन्हाएल मुँह।
आँय ई के छी
पूछि बैसैत छी अपन करेजसँ।
करेज हँसैत अछि हमरा पर
उपेक्षा आ तिरस्कारसँ
आ कहैत अछि गंभीर भावसँ
जे आब अपनेकेँ बिसरि गेलही तूँ।
ई तूँ छैं महकैत सड़ल गन्हाएल फूल
जकर कोनो कीमत नै।
सड़ि क' समाहित भ' जएबही
ऐ माटिमे
जतय तोरे जकाँ असंख्य लोक
जुग जुगसँ समाहित अछि
छटपटा कए ऐ रातिक खाधिमे।
मोन उतरि जाइए कखनो।
ओहि खाधिमे ताकैत रहै छी
कोनो चिन्हार चेहरा,
जे हुलसि पकड़ि क' बाँहि हमर
निकालि लेत हमरा
ओहि भयाओन खाधिसँ।
मुदा ई की देखै छी हम
जे हाथे नै छै ओकरा।
छै तँ खाली एकटा निर्विकार मुँह।
झमाएल पितियाएल मुँह।
सुखाएल गन्हाएल मुँह।
आँय ई के छी
पूछि बैसैत छी अपन करेजसँ।
करेज हँसैत अछि हमरा पर
उपेक्षा आ तिरस्कारसँ
आ कहैत अछि गंभीर भावसँ
जे आब अपनेकेँ बिसरि गेलही तूँ।
ई तूँ छैं महकैत सड़ल गन्हाएल फूल
जकर कोनो कीमत नै।
सड़ि क' समाहित भ' जएबही
ऐ माटिमे
जतय तोरे जकाँ असंख्य लोक
जुग जुगसँ समाहित अछि
छटपटा कए ऐ रातिक खाधिमे।
ओम प्रकाश
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