आजकल मजमे में जाने से डरता हूँ
गूँज रहे नारों के फ़साने से डरता हूँ
बंद मुट्ठी आया था फैले हाथ ही जाऊँगा
फिर भी जाने क्यों मैं ज़माने से डरता हूँ
फिर भी जाने क्यों मैं ज़माने से डरता हूँ
हौसला बहुत है, ऐसा दिल कहता है
यहाँ पे ख़ुद को आज़माने से डरता हूँ
यहाँ पे ख़ुद को आज़माने से डरता हूँ
सब की क़िस्मत की अपनी ही कहानी है
खुदी है पेशानी पर, सुनाने से डरता हूँ
खुदी है पेशानी पर, सुनाने से डरता हूँ
जाने हुए चेहरे अजनबी से लगते हैं
अब तो इनको मैं अपनाने से डरता हूँ
-ओम प्रकाश
अब तो इनको मैं अपनाने से डरता हूँ
-ओम प्रकाश
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