O. P. Jha
Monday, 3 October 2011
मैथिली गजल
मोनक आस आब टुअर भेल।
तृष्णा एखनहुँ नै दुब्बर भेल।
अन्हार सँ झरकैत रहलहुँ,
इजोत नै कखनो हमर भेल।
मधुमाछी मधु बनबैत रहै,
मधु सदिखन अनकर भेल।
कुहेसक मारल बाट कानैए,
रौद नै एखन सनगर भेल।
चीनी फाँकैत तबाह भेल "ओम",
मधुर कियाक नोनगर भेल।
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