Wednesday, 12 October 2011

मैथिली गजल


ताकलौं एना किया कोनो पैघ बात भय गेलै।
मोन डोलै हमर पीपरिक पात भय गेलै।

बिन पीने इ निशाँ किया हमरा लागै लागल,
हमरा बूझि केँ शराबी लोक कात भय गेलै।

हमरा हमरे सँ चोरी अहाँ कोना कय लेलौं,
बन्न छल हिय-खिडकी कोनो घात भय गेलै।

प्रेमक सींचल जिनगी आब भेलै रसगर,
सुखायल चाउर छलै मीठ भात भय गेलै।

सभ ओझरी सँ हम भिन्ने नीक रहैत रही,
नैन-ओझरी लागल "ओम"क मात भय गेलै।

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