एकटा लघुकथा प्रस्तुत करैत छी। एहि कथाक सबटा पात्र आओर घटना काल्पनिक अछि। जौं किनको सँ कोनो साम्यता हैत त' इ मात्र संजोग हैत, जाहि लेल हम अग्रिम क्षमाप्रार्थी छी।
सफल अधिकारी
वातानूकुलित चैम्बरक शीतल हवा मे रिवॉल्विंग चेयर पर आराम से अर्द्धलेटल अवस्था मे बैसल छलाह श्री बिमलेश चन्द्र। जी हाँ श्री बिमलेश चन्द्र, जे हमर विभागक एकटा सफल आयकर अधिकारी मानल जायत छैथ। हुनकर प्रभावी व्यक्तित्वक आगाँ पूरा विभाग नतमस्तक रहैत अछि। जतय ककरो कोनो काज अटकल कि श्री बिमलेश तुरत यादि कैल जायत छैथ। की अधिकारी आओर की कर्मचारी, सभ गोटे हुनकर काज कराबै केर क्षमता आओर हुनकर व्यक्तित्वक लोहा मानैत छैथ। आई वैह बिमलेश जी किछ शोचपूर्ण मुद्रा मे अपन कुर्सी मे घोंसियायल छलाह। हम भीतर ढुकबाक आज्ञा माँगलियैन्ह त' बिना डोलल संकेत सँ बजेलाह आओर हम ओहि सुन्नर वातानूकुलित कक्ष मे प्रवेश कय गेलहुँ। एतय इ बता दी जे जहिया सँ हमर विभाग मे कम्प्यूटर जीक पदार्पण भेलन्हि, तहिया सँ सभ अधिकारीक कक्ष वातानूकुलित भ' गेल अछि। ओना इ अलग गप थीक जे इ वातानूकुलन कम्प्यूटर जी लेल भेल छैन्ह। हम बिमलेश जी सँ चिन्ताक कारण पूछलियैन्हि। ओ बजलाह- "जहिया सँ मयंक सर गेलाह आओर खगेन्द्र सर एलाह, तहिया सँ हम चिन्तित छी।" मयंक शेखर हमर सभक आयकर आयुक्त छलाह जिनकर बदली भ' गेलन्हि आओर हुनका स्थान पर खगेन्द्र नाथ जी नबका आयुक्तक पदभार ग्रहण केलखिन्ह। हम कहलियैन्ह- "यौ एहि गप सँ चिन्ताक कोन सम्बन्ध? कियो आयुक्त रहथि, अपना सभ केँ त' काज करै केँ अछि, से करैत रहब।" बिमलेश- "अहाँ एहि दुआरे फिसड्डी छी आओर सदिखन अहिना फिसड्डी रहब।" हम चुप रहि केँ पराजय स्वीकार केलहुँ आ एहि सँ आओर उत्साहित होयत ओ बजलाह- "अहाँ बुडिराज छी। इ जनतब राखनाई बड्ड जरूरी अछि जे नबका सर कोन मिजाजक लोक छैथ।" हम- "से कियाक?" ओ अपन ज्ञान सँ हमरा आलोकित करैत कहलाह- "मिजाजक पता रहत तहन ने ओहि अनुरूपे काज कैल जेतई।" फेर ओ सोझ भ' केँ बैस गेलाह आओर एकटा नम्बर दूरभाष पर डायल करैत बजलाह जे मयंक सर केँ फोन करै छियैन्हि। ओकरा बाद एकटा चुप्पी आओर फेर बिमलेश जी मुस्की दैत विनीत भाव मे दूरभाषक चोगा पर बाजलैथ- "प्रणाम सर। हम बिमलेश।"
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"जी सब नीके छै अपनेक आशीर्वाद सँ।"
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"जी अहाँ संगे काज करय केर आनन्द किछ आओर छल। अहाँक विषयक पकड आओर अहाँक ज्ञान------- ओह सभ मोन पडैत अछि।"
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"झूठ नै कहै छी। अच्छा सर अहाँक सामान सभ पहुँचल की नै? सॉरी सर, एक दिन बिलम्ब भ' गेल, ट्रान्सपोर्ट मे ट्रक खाली नै छल।"
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"जी इ अपनेक महानता अछि। नहि त' हम कोन जोगरक लोक छी। कोनो आओर काज हुए त' कहब जरूर सर।"
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"जी प्रणाम सर।" इ कहैत ओ दूरभाषक सम्बन्ध विच्छेद करैत हमरा पर विजयी मुस्की फेंकलैथ आओर अपन आँखि हमर आँखि मे ढुकबैत कहलैथ जे कहू आर की हाल चाल। हम- "नीके छी यौ। बजबय लेल आयल छलहुँ। चलू नबका आयुक्तक चैम्बर मे मीटिंग अछि।" ओ तुरत हमरा संगे चलि देलैथ आओर हम सब आयुक्त महोदयक चैम्बर पहुँचलहुँ जतय सभ अधिकारी बैसल छलाह। मीटिंग शुरू भेल। एकटा चुप्पी ओहि कक्ष मे पसरि गेल। हमरो विभाग मे आन सरकारी विभाग जकाँ भरि साल मीटिंग चलैत रहैत अछि। एहि विषय पर एकटा ग्रन्थ लिखल जा सकैत अछि जे मीटिंगक कतबा फायदा अछि। खैर मीटिंग मे आयुक्त महोदय अधिकारी सभ केँ खूब पानि पियेलखिन्ह आओर खराब प्रदर्शनक लेल पुरकस डाँट सेहो भेंटल। कहुना मीटिंग खतम भेल आओर हम सभ ओहिना पडेलहुँ जेना बिलाडिक डर सँ मूस परायत अछि। मुदा बिमलेश जी फेर सँ अनुमति ल' केँ भीतर ढुकलाह आओर आयुक्त सँ कहलखिन्ह- "प्रणाम सर, हम बिमलेश।" आयुक्त भावरहित बजलाह- "बैसू।" हमर विभाग मे कोनो नबका अफसर आबैत छैथ त' विभिन्न अधिकारी आओर कर्मचारी केर खासियत सँ हुनका परिचित करेबा मे किछ लोक आगाँ रहैत छैथ। बिमलेश जीक (कु)ख्याति सँ आयुक्त महोदय नीक जकाँ परिचित क' देल गेल छलाह। भाव विहीन चेहरा सँ आयुक्त महोदय बिमलेश जी केँ कहलखिन्ह- "अहाँक रेकॉर्ड त' बड्ड खराब अछि। किछ काज नै भेल अछि।" बिमलेश जी पैंतरा बदलैत बजलाह- "सच पूछू सर त' एहि लेल अपनेक मार्गदर्शन लेल हम आयल छी। एहि चार्ज मे कहियो ठीक सँ काज नहि भेल। आब अहाँ केँ अयला केँ बाद सभ ठीक भ' जेतै।" आयुक्त महोदय कनी नरम भेलाह आओर अपन योजना पर चर्चा करय लगलाह। बिमलेश जी मन्त्र मुग्ध भ' केँ मुस्की दैत हाँ हूँ करैत सुनैत रहलाह। गप खतम भेला केँ बाद बिमलेश जी कहलखिन्ह- "सर अहाँक डेरा पर सामान उतारबाक लेल ५ टा लोक पठा देने छी आओर रातिक खेनाई डिलाईट होटल मे आर्डर क' देने छी।" आयुक्त महोदय किछ नहि बजलाह। ओकर बाद पता चलल जे बिमलेश जी केँ नियमित बोलाहट होबय लागलैन्हि आयुक्त महोदय लग। दू मासक बाद आयकर अधिकारीक बदलीक आर्डर आयुक्त महोदय केँ आफिस सँ निकलल। श्री बिमलेश जी केँ अपन कार्यालय मे छोडैत एकटा आओर कार्यालय केर अतिरिक्त प्रभार देल गेलन्हि। संगहि आयकर अधिकारी (मुख्यालय) केँ अतिरिक्त प्रभार सेहो देल गेलन्हि। हमर पदस्थापन एकटा दूरक जिला मे क' देल गेल छल। साँझ मे बिधुआयल मुँह लेने घर पहुँचलहुँ। कनियाँ मुँह फुलेने बैसल छलीह, कियाक त' हुनका पहिने बदलीक समाचार भेंट गेल छलैन्हि। हमरा दिस तिरस्कार केँ संग देखैत बजलीह- "अहाँ त' ओहिना बुडिबक रहि गेलहुँ। बिमलेश जी केँ देखियौन्ह, कतेक सफल अधिकारी छैथ। सभक पसिन्न छैथ।" हम मौन रहि केँ हुनकर गप सुनैत अपन पराजय स्वीकार केलहुँ।
bahut nik
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