Monday 19 December 2011

लोकतन्त्रक माने (कथा)


लोकतन्त्रक माने (कथा)

शैलेश बाबू अपन मिनी लाइब्रेरी मे बैसल किछ पोथी सबहक पन्ना उन्टेने जाइ छलाह। हुनकर कनियाँ सुनन्दा आबि केँ कहलखिन्ह- "कोन खोज मे लागल छी अहाँ। तीन घण्टा सँ अपस्याँत भेल छी।" शैलेश बाबू बजलाह- "लोकतन्त्रक माने ताकि रहल छी।" सुनन्दा हँसैत बजलीह- "हुँह, कथी केँ प्रोफेसर छी अहाँ यौ। लोकतन्त्रक माने होइ छै, बाई द पीपुल, औफ द पीपुल, फौर द पीपुल। इ गप त' बच्चा-बच्चा बूझै छै।" शैलेश बाबू बजलाह- "इ माने त' हमरो बूझल छल। हम लोकतन्त्रक आधार बनल किछ गोटेक हरकत केँ व्याख्या करबाक फेर मे एकर विशिष्ट अर्थ ताकि रहल छी। जतय जाइ छी किछ ने किछ विचित्र हरकत करैवला लोक सब सँ भेँट भ' जाइ ए। हुनकर सबहक लीला लोकतन्त्रक परिभाषा मे आबै छै वा नै, यैह खोज मे तबाह छी।" सुनन्दा कहलखिन्ह- "छोडू एखन इ सब आ चलू किछ पनपियाई क' लिय'।"

शैलेश बाबू पनपियाई करैत छलाह तखने हुनकर मित्र मनोज चौधरीक फोन एलन्हि- "कहिया पूर्णिया आबै छी प्रोफेसर साहेब? एहि बेरक दुर्गा पूजा मे हमर गामक प्रोग्राम फाईनल अछि ने?" शैलेश बाबू बजलाह- "हम काल्हि चलै छी।" दोसर दिन शैलेश बाबू पूर्णिया गेलाह आ ओतय सँ मनोज जीक संग हुनकर गाम गेलाह। ओतय हुनकर गाम पर जलखै क' केँ साँझ मे दुनू दोस्त मेला घूमै लेल निकललाह। मेला मे एहि बेर नौटंकीक वेवस्था सेहो छलै। सभ ठाम सँ घूमि दुनू गोटे नौटंकी देखबा लेल पंडाल मे पहुँचि अपन स्थान ग्रहण केलैथि। नौटंकीक बीच मे बाईजीक नाचक सेहो प्रबन्ध छलै। एकटा बाईजी स्टेज पर आबि अपन लटका झटका देखबैत कोनो फिल्मी गाना पर नाच कर' लगलै। शैलेश बाबू मनोज जी केँ कहलखिन्ह जे चलू, इ नाच हम नै देखब। ताबे एकटा घटना भेल, जे देखि ओ ठमकि गेलाह। नाचक बीचे मे दर्शक मे आगू मे बैसल एक गोटे उठलाह आ नाच कर' लागलाह। ओ साँवर रंग केँ उज्जर कुरता पायजामा पहीरने एकटा दाढीदार लोक छलाह आ हाथ मे एकटा नलकटुआ रखने फायरिंग सेहो करै छलाह। मनोज जी बाजलाह- "इ हमर सबहक विधायक छैथ आ सबटा आयोजन हुनके सौजन्ये छैन्हि।" तावत ओ विधायक मन्च पर चढि गेल आ बाईजी संगे फूहड भाव-भंगिमा मे नाच कर' लागल। शैलेश बाबू खिसियाइत बजलाह- "चलू तुरन्त। हम नै रूकब आब। इ किरदानी विधायक केँ, राम-राम।" ओतय सँ दुनू गोटे गाम पर एलाह आ शैलेश बाबू रातिये पटना केँ बस पकडि विदा भ' गेलाह। दोसर दिन भोरे पटना पहुँचलाह। डेरा पर बैसि चाह पीबै छलाह, तखने सुनन्दा बजलीह- "केहेन जमाना आबि गेलै। विधायक नर्तकी संगे स्टेज पर नाच करै छलै। पूरा समाचार मे यैह सब देखा रहल छै।" शैलेश बाबू तुरंत टी.वी. दिस भगलाह आ एकटा न्यूज चैनल लगेलाह। ओहिठाम यैह समाचार बेर बेर देखबै छलै। ओहि चैनलक स्टूडियो मे ऐ विषय पर बहस चलै छलै। किछ राजनीतिक लोक सब आ किछ बुद्धिजीवी लोक सब चर्चा मे लीन छलाह। विधायक जीक पार्टीक नेता केँ छोडि बाकी लोक एहि कृत्यक घोर निन्दा करै छलाह। बीच बीच मे प्रचार आ चैनेल दिस सँ इ उद्घोषणा कि सब सँ पहिने वैह इ समाचार देखौलक। इ विषय गरीबी आ भूखमरीक समस्या केँ कतौ बिला देलकै। एना लागय लागल जे देश मे आब एकमात्र यैह समस्या रहि गेलै। शैलेश बाबू चैनल बदललाह। सभ ठाम वैह देखबै छलै। ओ बडबडाय लागलाह- "कते महत्वपूर्ण समाचार भ' गेलै इ।" ताबत एकटा चैनल पर विधायक जीक बयान आबि गेलै- "इ सब विरोधी पार्टीक दुष्प्रचार थीक। हम ओहि नर्तकी केँ पुरस्कार देबा लेल स्टेज पर गेल छलहुँ। वीडियो मे छेडछाड कैल गेल अछि। इ हमरा बदनाम करै लेल विरोधी सबहक चालि थीक। हम जाँच लेल तैयार छी। एकटा कमीशन बैसायल जाओ।" शैलेश बाबू सुनन्दा केँ कहलखिन्ह- "इ झूठ बाजै ए। हम अपनहि आँखि सँ इ कृत्य देखलौं।" सुनन्दा बजलीह- "चुप रहू आ इ गप आन ठाम नै बाजब। छोडू ने, सिनेमाक चैनल लगाउ।"

साँझ मे एकटा चैनल पर "विधायक जी स्टेज पर" एहि विषय पर जनताक बीच विधायक जी केर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम छल। शैलेश बाबू इ देख' लागलाह। विधायक जी साफ-साफ कहलखिन्ह जे ओ स्टेज पर नर्तकी केँ ईनाम दै लेल गेल छलाह। हुनकर कहनाई रहैन्हि जे वीडियो मे छेडछाड कैल गेल। जनताक बीच सँ ढेरो सवाल पूछल गेल आ विधायक जी बिना तमसायल मुस्की दैत शांत जवाब दैत रहलाह। शैलेश बाबू कुनमुनाब' लागलाह। बाजय लागलाह जे केहेन झूठ बाजै छै। मुदा हुनकर के सुनै छैन्हि। सुनन्दा केँ इ गप बूझल छलैन्हि जे शैलेश बाबू जोश मे ओतय जा सकै छैथ, तैं ओ हुनकर पहरेदारी मे मुस्तैद छलीह। एकाएक जनता केँ बीच सँ एकटा युवक उठलै आ हाथ मे एकटा चप्पल लेने मन्च दिस दौडि गेलै। ओ चप्पल सोझे मन्च दिस फेंकलक जकरा विधायक जीक अंगरक्षक सभ लोकि लेलकै। ओहि युवक केँ पुलिस पकडि लेलक आ धुनाई करय लागल। विधायक जी बाजय लगलाह जे देखू विरोधी सबहक कुकृत्य। हमरा नै फँसा सकल त' आब अपन पार्टीक लुच्चा सभ केँ पठा केँ हमरा बेइज्जत करबाक प्रयास करै जाइ ए। शैलेश बाबू धेआन सँ ओहि युवक केँ देखलाह त' हुनकर मुँह सँ निकललैन्हि- "अरे इ त' धनन्जय छै। अपन फूलधर बाबूक जेठका बेटा। इ कोनो पार्टीक लोक नै अछि। इ त' डिग्री ल' केँ घूमैत एकटा बेरोजगार युवक अछि।"

शैलेश बाबू टी.वी. बन्न क' केँ माथ पर हाथ धेने बैस गेलाह आ सुनन्दा सँ कहलखिन्ह- "कनी एक गिलास पानि पियैबतहुँ। हम फेर लाइब्रेरी जा रहल छी, लोकतन्त्रक माने ताकबा लेल।"

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