Tuesday 8 December 2015

गजल

अपने सुरमे हम तँ गाबैत रहब
जिनगी बाजा छै बजाबैत रहब
बिरड़ो कतबो ई हिलाबै हमरा
सुन्नर फोटो नित बनाबैत रहब
कहियो बूझब हमर संकेत अहाँ
भाषा संकेतक बुझाबैत रहब
नोनी लागल जइ घरक देबालमे
एहन घरकेँ हम खसाबैत रहब
"ओमक" फुलवारी गमकतै सदिखन
ऐ फुलवारीकेँ सजाबैत रहब
2222-2122-112 प्रत्येक पाँतिमे एक बेर। चारिम शेरक पहिल पाँतिमे एकटा दीर्घकेँ लघु मानबाक छूट लेल गेल अछि।
ओम प्रकाश

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