Tuesday 25 October 2011

मैथिली गजल


मुस्की अहाँक हमर काल बनल अछि।
नैनक चालि जी केँ जंजाल बनल अछि।

अहाँ केँ देखि सुरूज कोनटा नुका गेल,
लाल अहाँक एहन गाल बनल अछि।

लिखते रहै छी पाती अहाँ केँ प्रिये हम,
राखै छी घरे पातीक टाल बनल अछि।

हमरो सुधि कखनो लियौ ने प्रियतम,
अहीं केँ सुमिरैत की हाल बनल अछि।

"ओम" दीप बनि जरै इजोत अहीं लग,
देखू प्रेमक खिस्सा विशाल बनल अछि।
-------------------वर्ण १५--------------------

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