Wednesday 28 September 2016

बीहनि कथा

सामंत
साहेब आफिससँ निकलि क' कतौ जाइत छलाह। चपरासी हुनकर वातानुकूलित कक्षक दरबज्जा खोलि क' ठाढ़ भ' गेल। दोसर चपरासी हुनकर बैग ल' कए चलल। बाहर बत्ती लागल कार लागल छल। कारक चालक कारक गेट खोलि ठाढ़ छल। अप्पन कक्षसँ कार धरि पच्चीस मीटरक दूरी साहेब पाँच मिनटमे पहुँचि गेलाह।ओतबा दूरमे कतेको मुलाजिम ठाढ़ छल आ सलामी ठोकने जा रहल छल।साहेब मूड़ी हिला क' जबाब दैत कार धरि गेला आ शानसँ गाड़ीमे बैसि गेला। कार ओतयसँ चलि क' शहरक टाउन हाल पहुँचल। साहेब गाड़ीसँ उतरलाह तँ ढ़ेरी लोक सलामी ठोकै...त आगाँ पाछाँ करैत हुनका भीतर ल' कए चलि गेल। आइ ओतय "सामंतवादक प्रभाव आ नब सामंतवाद" विषयपर एकटा गोष्ठी छल आ साहेब मुख्य अतिथि छलाह।सामंतवादक दुष्प्रभाव आ ओकर आतंकसँ जकड़ल समाजकेँ नब रस्ता देखेबा लेल साहेबक भाषणक प्रतीक्षामे हुनकर जिंदाबादक नारासँ पूरा हाल गुंजायमान भ' गेल।
-ओम प्रकाश

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