Wednesday 8 March 2017

गजल

सिनेहक धधरा पजरल किए नै
उछेहक सागर उमड़ल किए नै
किछो नै रहलौं हम आब ओकर
तखन ओ हमरा बिसरल किए नै
कतेको धक्का सहि सहि बचल छै
नगर ई यादिक उजड़ल किए नै
हमर आँखिसँ खूनक नोर झहरै
हुनक छवि मोनसँ ससरल किए नै
जरै छी हम दिन आ राति सदिखन
करेजा 'ओम'क कुहरल किए नै
-ओम प्रकाश
मात्राक्रम अछि 1-2-2-2, 2-2-2, 1-2-2 प्रत्येक पाँतिमे एक बेर। सुझाव सादर आमंत्रित अछि।

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