Thursday 29 September 2011

मैथिली गजल



थान केँ नापबाक फेर मे गज फेंकल जाइ ए।
आकाश छूबाक फेर मे जमीन छूटल जाइ ए।

भाँति-भाँति के सुन्नर फूल लागल फुलवारी मे,
कमल लगेबाक फेर मे गेना टूटल जाइ ए।

चानी सँ संतोख भेल नै, आब सोनक पाँछा भागू,
सोन कीनबाक फेर मे इ चानी रूसल जाइ ए।

दूरक चमकैत वस्तु अंगोरा भय सकै अछि,
मृगतृष्णाक फेर मे देखू मृग कूदल जाइ ए।

चानक इजोरिया मे काज "ओम"क होइते छल,
भोर-इजोरियाक फेर मे चान डूबल जाइ ए।
------------- वर्ण १८ -----------------

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