Monday 2 January 2012

मैथिली गजल

केहन मीठ विरह मे झोरि गेलौं अहाँ हमरा।
नोरक झोर विकट छै बोरि गेलौं अहाँ हमरा।

नीक कहै छल सभ ठाँ, फूल भेंटै छलै सगरो,
आब कहै हम वहशी, घोरि गेलौं अहाँ हमरा।

लोक बजै छल हमरा प्रेम मे जोडि देल अहाँ,
टूटल टाट बनल छी, तोडि गेलौं अहाँ हमरा।

देल करेज अपन सौंसे अहाँ केर हाथ प्रिये,
सौंस करेजक टुकडी छोडि गेलौं अहाँ हमरा।

"ओम"क मोन बुझलकै नै, बनेलौं अहाँ घिरनी,
नाच करी बनि घिरनी, गोडि गेलौं अहाँ हमरा।
------------------ वर्ण १८ ----------------

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