Thursday 5 January 2012

मैथिली गजल


करेज मे काढल छै अहाँक छवि, नै मेटैत कखनो।
मोन मे बन्न अहाँक प्रेम कियो कोना चोरैत कखनो।

अहाँ खुश रहू यैह छै आब हमर दर्दक इलाज,
इ दर्द फुरसति मे हमर करेज सुनैत कखनो।

असगर बैसल अहाँक यादि मे हम हँसि लैत छी,
हँसीक राज भेंटला सँ हमर मोन बतैत कखनो।

मोन मे बसल अहाँक छवि नै भीजै, तैं नै कानैत छी,
मुदा रोकी कते, अहाँक यादि हमरा कनैत कखनो।

एक बेर कहि दितिये अहाँ हमरे लेल बनल छी,
गीत प्रेमक "ओम"क मोन हँसि गुनगुनैत कखनो।
--------- सरल वार्णिक बहर वर्ण २० ----------

No comments:

Post a Comment