Thursday 10 March 2016

शायरी

बन जाऊँ तेरा आईना, यही हसरत थी मेरे दिल में
एक सुलगती आग सी तेरी उलफत थी मेरे दिल में
माना तू चाँद है, रहा करता है कहीं दूर गगन में
पर एक बार तुझे छू लेने की चाहत थी मेरे दिल में

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