Thursday 10 March 2016

कविता

दोसराइत
असगरूआ माए जोहैत अछि बाट
अपन बेटाक गाममे।
असगरूआ कनियाँ जोहैत अछि बाट
अपन वरक किरायाक खोलीमे।
असगरूआ बच्चा जोहैत अछि बाट
अपन बापक इसकूलक होस्टलमे।
ओ बेटा, ओ वर, ओ बाप
अपसियाँत भेल जिनगीक मारामारीमे
जोहैत अछि बाट शान्तिक
आ संतोषक जीवनमे।
सबकेँ चाही दोसराइत
असगरूआ मरूभूमिमे।
बालु आ गरमीसँ औनाएल मोन
दोसराइतक बाट जोहैत रहैए।

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